हम पहले आप को ये बताये की मशरूम क्या है
मशरूम विशेष प्रकार की फफूंदों का फलनकाय है, जिसे फुटु, छत्तरी, भिभौरा, छाती, कुकुरमुत्ता, ढिगरी आदि नामों से जाना जाता है। मशरूम खेतों में, मेढ़ों में, वनों में प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार के माध्यमों में निकलते है। इनमें खाद्य, अखाद्य, चिकित्सीय, जहरीले एव अन्य मशरूम होते है। खाद्य मशरूम ग्रामीणों द्वारा बहुतायत में पसंद किये जाते है। वैज्ञानिकों ने इन जंगली मशरूमों को एकत्र कर प्रयोगशाला में इनके विकास का पूर्णरूपेण अध्ययन किया एवं इनकी उत्पादन विधि विकसित की। आज अनेक प्रकार के मशरूम को न केवल प्रयोगशाला में उगाया जा रहा है, वरन उनकी व्यावसायिक खेती कर उनका निर्यात एवं आयात कर कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है। मशरूम उत्पादन में भारतवर्ष पिछड़ा है। यहाँ पर मशरूम अनुसंधान एवं उत्पादन वृद्धि दर संतोषप्रद है भारतवर्ष में आज लगभग 1.00 लाख टन मशरूम का उत्पादन हो रहा है, जिसमें 85 प्रतिशत हिस्सा सफ़ेद बटन मशरूम का है। दूसरे क्रम में आयस्टर, पैरा मशरूम एवं दूधिया मशरूम है।
मशरूम क्या है
मशरूम “कुकुरमुत्ता” नहीं अपितु फफूंदों का फलनकाय है, जो पौष्टिक, रोगरोधक, स्वादिष्ट तथा विशेष महक के कारण आधुनिक युग का एक महत्वपूर्ण खाद्य आहार है। बिना पत्तियों के, बिना कलिका, बिना फूल के भी फल बनाने की अदभूत क्षमता, जिसका प्रयोग भोजन के रूप में, टानिक के रूप में औषधि के रूप में सम्पूर्ण उत्पत्ति बहुमूल्य है। प्रथम पंक्ति मशरूम की आकारिकी एवं दैहिक कार्यों का वर्णन करती है एवं दूसरी पंक्ति इसमें निहित पौष्टिक एवं औषधीय गुणों की विशेषता बताती है।
मौसम की अनुकूलता एवं सघन वनों के कारण भारतवर्ष में पर्याप्त प्राकृतिक मशरूम निकलता है। ग्रामीणजन इसका बड़े चाव से उपयोग करते है। उनकी मशरूम के प्रति विशेष रूचि है इसीलिये इन क्षेत्रों में व्यावसायिक स्तर पर उत्पादित आयस्टर एवं पैरा मशरूम की अधिक मांग है। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र में किये गये अनुसंधान कार्य से यह निष्कर्ष निकाला गया है की इस क्षेत्र में व्यावसायिक स्तर पर चार प्रकार के मशरूम उगाये जा सकते है:
क्र.सं.
व्यावसायिक स्तर पर मशरूम के प्रकार
व्यावसायिक स्तर पर मशरूम के प्रकार
1.
आयस्टर मशरूम (प्लुरोटस प्रजाति)
आयस्टर मशरूम (प्लुरोटस प्रजाति)
2.
पैरा मशरूम (फुटु ) (वोल्वेरियेला प्रजाति)
पैरा मशरूम (फुटु ) (वोल्वेरियेला प्रजाति)
3.
सफ़ेद दुधिया मशरूम (केलोसाइबी इंडिका)
सफ़ेद दुधिया मशरूम (केलोसाइबी इंडिका)
4.
सफ़ेद बटन मशरूम (अगेरिकस बाइसपोरस)
सफ़ेद बटन मशरूम (अगेरिकस बाइसपोरस)
इनमें आयस्टर मशरूम उत्पादन की संभावनायें अधिक हैं क्योंकि इसे कृत्रिम रूप से वर्ष भर उगाया जा सकता है। पैरा मशरूम एवं दूधिया मशरूम के प्राकृतिक रूप से व्यापारिक उत्पादन की संभावनायें अपेक्षाकृत कम हैं क्योंकि इसे कम अवधि (चार माह) तक उगाया जा सकता है। पैरा मशरूम उत्पादन के पश्चात इसका शीघ्र विपणन भी एक समस्या है। सफ़ेद बटन मशरूम पर किये गये प्रयोगों से यह स्पष्ट है की ठंड के मौषम में बस्तर के पठारी क्षेत्रों में दो फसल आसानी से ली जा सकती है। इस तरह कृत्रिम रूप से विभिन्न मशरूमों को उगाकर इनकी उपलब्धता को बरसात के अलावा साल भर तक बढ़ाया जा सकता है एवं उपभोक्ताओं की माँग की पूर्ति की जा सकती है।
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